New vs Old Tax Regime : ऐसे कई डिडक्शंस और एग्जेम्पशंस हैं जो इनकम टैक्स की नई और पुरानी दोनों टैक्स रीजीम में मिलते हैं। वैसे तो, कुछ डिडक्शंस के विषय में नई टैक्स रीजीम में कुछ शर्तें लगाई गई हैं
नई रीजीम की शुरुआत 2020 के यूनियन बजट में हुई थी। हलाकिं इसमें टैक्स के रेट्स कम होने के बावजूद भी टैक्सपेयर्स को कई तरह के डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस का फायदा नहीं मिलता है.
नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है तो उसके बाद अब टैक्सपेयर को विचार करना है की उसको अपनी इनकम टैक्स फायलिंन(Income Tax Filing) के वक्त उसे कितना टैक्स डिडक्शंस क्लेम करना है, ये इस बात पर डिपेंड करता है
आप इन्कम टैक्स की नए रीजिम(New Regime of Income Tax),पुराने रीजिम(Old regime of Income Tax) में से आप किसका ज्यादा इस्तेमाल करेंग, इसी वजह से अगर आप अपने नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में ही ये डिसाइड कर लेते हैं कि आप को कोनसा इनकमटैक्स रीजिम चाहिए तो वो आपको ज्यादा beneficial रहेगा.

अब तो डिडक्शंस लगाया जाएगा होम लोन के इंटरेस्ट पर भी
इनकम टैक्स की नई रीजीम में एक महत्वपूर्ण डिडक्शंस की इजाजत दी गई है। किराए पर दिए गए घर के होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। लेकिन, ‘हाउस प्रॉपर्टी से निगेटिव लॉस नहीं’ की शर्त इस का कम आकर्षक बना देती है। इसका मतलब यह है कि रेंटल इनकम (हाउस प्रॉपर्टी से निगेटिव लॉस) से ज्यादा की इंटरेस्ट कॉस्ट को उसी साल या आने वाले साल में दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता।
इनकम टैक्स की रीजिम में कई बदलाव हुए हैं जिनमें से एक यह है कि किराये पर दिए गए होम लोन के इंट्रेस्ट पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है, लेकिन हाउस प्रॉपर्टी से निगेटिव लॉस नहीं इन शर्तों की वजह से इस डिडक्शन थोड़ा कम attractive हो गया है.
इसका सीधा मतलब ये है कि रेंटल इनकम (हाउस प्रॉपर्टी से निगेटिव लॉस) से ज्यादा की इंटरेस्ट पोस्ट को उसी साल या आने वाले साल में दूसरी इनकम के साथ सेट टॉप नहीं किया जा सकता है, इस ही के साथ आप जिस घर में रहते हैं उस घर के होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते हैं आपलोग.
आप डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं जब ओल्ड टैक्स रीजीम में आप खुद के रहने के लिए और किराए पर दिए घर दोनों के लिए यह डिडक्शन क्लेम कर रहे हैं तो ही.
चार्टर्ड क्लब के फाउंडर करण बत्रा ने बताते हुए कहा कि जब तक हाउस प्रॉपर्टी से लॉस 2 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो जाता, उसे उसी साल किसी दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी घट जाती है। रेंटेड प्रॉपर्टी से हुए 2 लाख रुपये से ज्यादा के लॉस को कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है। इसे बाद के 8 साल में क्लेम किया जा सकता है।
पर नई टैक्स रीजीम में यह तरह से working है. केपीएमजी टैक्स इंडिया की पार्टनर पारिजाद सिरवाला के according, नई रीजीम में हाउस प्रॉपर्टी से हुए किसी निगेटिव लॉस को किसी दूसरे इनकम के साथ सेट-ऑफ करने की परमिशन नही है.
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टैक्स एग्जेम्प्शंस अब ग्रेच्युटी पर
ग्रेच्युटी यह वो अमाउंट है जिसमें एंप्लॉयी के कम से कम पांच साल तक नौकरी करने के बाद उसे छोड़ने पर एंप्लॉयर की तरफ से उसे दिया जाता है। यह वैसे तो सैलरी का ही part होता है पर यह employees को retirement या नौकरी छोड़ने पर ही दिया जाता है. अगर कोई employee की मौत हो गई हो या तो वो paralyzed हो तो इन स्थिति में पांच साल नौकरी की कंडिशन applicable नही होती है.
टैक्स एग्जेम्प्शन अब लीव इनकैशमेंट पर
हर कंपनी में काम करने वाले एम्प्लाई को पेड़ या प्रीविलेज लीव मिलती है. बहुत सी कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को बिना यूज़ हुई लीव को कैरी फॉर्वर्ड कर देती है जिससे वो अपने लिव इन फ्यूचर जरूरत पड़ने पर ले पाए और कंपनी अपनी एंप्लॉयी को लीव ना इस्तेमाल करने से लिए कुछ पैसे भी देती है.
नई टैक्सी रीजिम के चलते एम्प्लॉई को रिजाइन करने पे या रिटायरमेंट पर ही लीव इनकैशमेंट से मिली अमाउंट को टैक्स फ्री कर दिया है. आपके लीव इनकैशमेंट टैक्स फ्री होने की लिमिट इस बात पर डिपेंड करती है कि आप गवर्नमेंट एम्प्लॉई है या फिर प्राइवेट अगर आप सरकारी एंप्लॉयी है तो आपकी पूरी लीव इनकैशमेंट टैक्स फ्री हो जाएगी और अगर आप नॉन गवर्नमेंट एम्प्लॉई है तो 1 अप्रैल 2023 में ₹25,00,000 तक के लिए इंगेजमेंट टैक्स फ्री करा है.