Republic Day speech 2023 in Hindi, गणतंत्र दिवस पर भाषण हिंदी में, निबंध, शायरी, gartantra diwas bhashan 2023

Republic Day speech 2023 in Hindi, गणतंत्र दिवस पर भाषण हिंदी में, निबंध, शायरी, शुभकामनाएं, Republic Day speech and essay 2023:-हमारे भारत में तीन राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं। 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) भारत के राष्ट्रीय पर्व हैं। ये 3 ऐसे पर्व हैं जिनका हर देशवासी के लिए समान महत्व है चाहे वह किसी भी जाति या समुदाय का हो। हर भारतीय उन राष्ट्रीय पर्वों को हर्ष और उत्साह के साथ मनाता है।

चूंकि गणतंत्र दिवस भारत के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, इसलिए गणतंत्र दिवस पर निबंध लिखने या गणतंत्र दिवस पर भाषण देने की कवायद काफी आम है। इस दिन अनेक स्थानों पर गणतंत्र दिवस पर भाषण (republic Day speech) देने या गणतंत्र दिवस पर निबंध (republic Day essay) लिखने की प्रतियोगिताएं होती है। कई स्थानों पर कुछ सम्मानित मनुष्यों को आमंत्रित किया जाता है और उनसे अनुरोध किया जाता है कि वे सभा को संबोधित करते हुए गणतंत्र दिवस पर 10 पंक्तियों का उल्लेख करें। चूंकि आज का दिन प्रत्येक भारतीय के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। 

गणतंत्र दिवस पर भाषण हिंदी में

Republic Day speech 2023 in Hindi

ऐसे में विशेषकर स्कूलों में छात्रों को इस दिन से अवगत कराने के विचार से गणतंत्र दिवस पर निबंध लिखने का उपक्रम भी दिया जाता है। कई बार कॉलेज की परीक्षा में भी सटीक अंक के लिए गणतंत्र दिवस भाषण हिंदी में या गणतंत्र दिवस पर निबंध लिखने से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। वहीं, विशेष कार्यक्रमों में छात्रों से गणतंत्र दिवस 26 January भाषण हिंदी में भाषण देने का भी अनुरोध किया जाता है।

कई कॉलेज के छात्रों की हिंदी विषय पर पकड़ कमजोर होती है, इसलिए गणतंत्र दिवस पर एक निबंध लिखना या 26 जनवरी को एक बैठक में भाषण देना उनके लिए आसान काम नहीं है। उपरोक्त सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस Artical में गणतंत्र दिवस 26 January भाषण हिंदी में पर भाषण तैयार किया गया है। हम कामना करते हैं कि ऐसा होने पर अब आपको गणतंत्र दिवस पर निबंध लिखने या गणतंत्र दिवस पर भाषण देने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। 

गणतंत्र दिवस शायरी

जय बोलो उस धीर व्रती की

जिसने सोता देश जगाया है।

जिसने मिटटी के पुतलों का

वीरों का बाना पहनाया।

जिसने आजादी निकालने की एक राह निकाली

गणतंत्र दिवस पर निबंध 500 शब्दों में

26 जनवरी, 1950 को भारत देश में संविधान लागू करके भारत को गणतंत्रात्मक देश बनाने की योजना बनाई गई थी। इसी दिन की याद में भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ, लेकिन 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हो जाने के बाद गणतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार किया गया ।

भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली स्वीकार करने के बाद मार्ग प्रशस्त करने वाले संविधान के कार्यान्वयन की तारीख 26 जनवरी भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखती है। यह राष्ट्रीय पर्व सभी सरकारी संस्थानों में बड़ी उत्साह के साथ मनाया जाता है।राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के रूप में भारत देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में देश की सभ्यता और उपलब्धियों की एक झलक दिखाई देती है।

पूरे भारत देश में कॉलेजों में विशेष अवसर तैयार किए जाते हैं, प्रभात फेरी निकाली जाती है, तिरंगा फहराया जाता है, देशव्यापी गान गाया जाता है, गणतंत्र दिवस भाषण, देशभक्ति गीत, नृत्य, नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं और उपहार वितरित किए जाते हैं।

गणतंत्र दिवस पर निबंध प्रस्तावना उपसंहार

गणतंत्र दिवस पर आसानी से भाषण कैसे तैयार करें, इसकी जानकारी भी इस लेख में दी गई है। गणतंत्र दिवस पर हम लोगों को कैसे संबोधित करें इस लेख में नीचे बताया गया है-

“आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय, सभाध्यक्ष महोदय, उपस्थित सज्जन , गुरुजन , मेरे सहपाठी भाइयों एवं बहनों! आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

जैसा कि पूर्वविदित है हम सभी यहां इस पावन तिरंगे झंडे के नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रत्येक भारतीय के लिए संतोष और सम्मान का विषय है।हर तरफ देखो लग रहा

”जय हिन्द” का नारा है।

लिए तिरंगा हाथ में देश

झूम रहा आज सारा है

आओ की आया है ”राष्ट्र पर्व”

गणतंत्र हमारा है

नमन ”माँ भारती” तुझे

दिया राष्ट्र पर्व प्यारा है।

जय हिन्द

सबके अधिकारों का रक्षक

अपना ये गणतंत्र पर्व है।

लोकतंत्र ही मंत्र हमारा

हम सभी को भारतीय होने पर गर्व है।

गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे का महत्व क्या है

गणतंत्र दिवस का इतिहास – भारतीय संविधान के निर्माण के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान समिति का गठन किया गया था। 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हो पाया था । इन दिनों (26 नवंबर, 1949) को व्यापक रूप से संविधान दिवस, राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में जाना जाता है। भारतीय इतिहास। और यह संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को सौंपा गया था । यह विश्व का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण लिखित संविधान है जिसमें 395 लेख और 8 अनुसूचियां थीं।

भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा नियमित रूप से अस्तित्व में आया, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 से लागू करने का निश्चय किया गया। इसका कारण यह है कि भारत को आजादी मिलने से पहले 26 जनवरी को 1930, भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया गया और इसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में इन दिनों मनाने के लिए पेश किया गया। इसके बाद 15 अगस्त 1947 से पहले भारत में हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। एस। 26 जनवरी की स्मृति को धारण करने के लिए इसी दिन भारतीय संविधान को लागू करने का संकल्प लिया गया।

गणतंत्र दिवस पर निबंध | Republic day essay in hindi

इसके बावजूद भारत गणराज्य के समक्ष अनेक ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें इतना समय बीत जाने के बाद भी हमारे सामने रखा जा सकता है।

  1. भ्रष्टाचार (Corruption): – देश में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता जा रहा है, आजादी के बाद स्थिति बेहद दयनीय होती जा रही है। मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं। अधिकांश नेता, मंत्री, सरकारी अधिकारी, दायित्व निभाने वाले कर्मी उन्हें ईमानदारी से नहीं निभा रहे हैं। हर कोई गलत तरीके से पैसा कमाने को आतुर है। जनसेवा से जुड़े राजनीति के विषय में अपराधियों और भ्रष्ट लोगों का मिलन होता है। अपराधियों और भ्रष्ट नेताओं से न तो किसी का हमें और न ही समाज को कभी फायदा हुआ है और न ही कभी होगा।
  2. साम्प्रदायिकता (Communalism):भारतीय संविधान में एक बचाए गए सेक्युलर का देश ताकि एक के सभी निवासी समान हों, किसी के साथ कोई भेदभाव न हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने इसका ताना-बाना उखाड़ दिया है सत्ता के लालच में राजनीतिक दल समाज को धर्मों और जातियों में बांटने की नीति चलाते हैं। जिसके कारण एक-से-एक धर्मों और जातियों के बीच मनमुटाव बढ़ रहा है।
  3. खराब स्वास्थ्य सेवाएं (poor health services): अप्रत्याशित रूप से फैल रही कोरोना महामारी के कारण लाखों लोग समय से पहले काल के गाल में समा गए। भोजन, कपड़ा, आवास, फिटनेस, स्कूली शिक्षा जैसे विषयों पर अधिकारियों की अनदेखी का नतीजा यह है कि अस्पताल में मरीजों के लिए बिस्तर तक नहीं हैं। ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है। लोगों को सही इलाज भी नहीं मिल रहा है। फिटनेस इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त हो गया है। लोकतंत्र की आत्मा, राम के भरोसे इंसान।
  4. बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद, नक्सलवाद, राजनीति का अपराधीकरण, कृषि क्षेत्र की अनदेखी, किसानों को अब पौधों का सही दाम नहीं मिलना आदि कई मुद्दे हैं जो हमारे आसपास दिखाई दे रहे हैं। शासन तंत्र ने मुद्दों को स्पष्ट नहीं किया है।

हमें हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भाषण सुनने को मिलते हैं, जिसमें देश की समस्याओं पर ध्यान दिया जाता है और ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ये मुसीबतें आज की नहीं हैं, ये समस्या से नहीं बल्कि कई दशकों से देश में मौजूद है लेकिन इसका जवाब अभी तक तय नहीं किया जा सका है।

गणतंत्र दिवस पर नेताओं, मंत्रियों, अधिकारियों के माध्यम से भाषण दिए जाते हैं, लेकिन देश, समाज और जनता के कल्याण के लिए काम करने के मामले में हम सभी असफल नजर आते हैं। स्थिति यह है कि कई वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद सरकारें बदलने के बाद, यह माना जाता है कि देश, राज्य, समाज, पंचायत विकसित नहीं हुए हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधियों की संपत्ति वास्तव में कई गुना बढ़ गई है।

बलिदानों का सपना जब सच हुआ

देश तभी आजाद हुआ,

आज सलाम करें उन वीरों को ,

जिनकी शहादत से भारत गणतंत्र हुआ।

लगभग हर समस्या की जड़ भ्रष्टाचार ही है। अगर इसे दूर कर दिया जाए तो धीरे-धीरे बाकी सारी परेशानियां कम होने लगेंगी। यू के राजनीतिक तंत्र के भीतर सुधार की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए राजनीतिक पार्टियों को अपनी कार्यशैली को बदलना होगा और मेहनती व ईमानदार लोगों को राजनीति में आगे बढ़ना होगा। लोकतंत्र के सभी स्तंभों – विधायिका, सरकार और न्यायपालिका को अपने पद का भलीभांति निर्वहन करना चाहिए।

इसके अलावा चौथे स्तंभ माने जाने वाले प्रेस को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी। हर चरित्र लोकतंत्र का हिस्सा है और सभी को अपनी भूमिका का अच्छे से निर्वहन करना होगा, तभी भारतीय लोकतंत्र प्रामाणिक रूप से सफल हो सकता है, नहीं तो स्वतंत्रता पर दिए गए भाषणों में इससे जुड़ी समस्याएं उठ खड़ी होंगी। 

गणतंत्र दिवस, और उसके बाद साल भर लोकतंत्र में जनता पीसती रहेगी और रखवाले सोते रहेंगे। आइए हम सब आज संकल्प लें कि हम चार्टर के अनुरूप आचरण कर सकेंगे और देश के लोकतंत्र को मजबूत बना सकेंगे। ताकि ऐसी स्थिति न आए।

“जय हिंद, जय भारत” के नारे के साथ गणतंत्र दिवस भाषण को विराम दे

FAQs

भारत के संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष कौन थे?

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा

भारत के संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष कौन थे?

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

हमारे भारतीय संविधान में अनुच्छेद और अनुसूचियाँ की संख्या क्या है?

अनुच्छेद 19

हमारे भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की बात किस हिस्से में की गई है? 

भाग 3 (अनुच्छेद 12-35 तक)

हमारे भारतीय संविधान को देश में कब स्वीकार किया गया? 

26 नवंबर, 1949

भारतीय संविधान को बनाने में कितना समय लगा?

2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में

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