Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि व्यक्ति का दूसरे मनुष्य के प्रति व्यवहार एवं समाज में रहने का ढंग कैसा होना चाहिए और व्यक्ति को समाज में किस प्रकार से दूसरे व्यक्ति के साथ व्यवहार रखना चाहिए एवं उस व्यक्ति को हद से ज्यादा सीधा एवं सरल भी नहीं होना चाहिए यदि व्यक्ति अत्यंत सीधा एवं सरल स्वभाव का है तो वह व्यक्ति समाज में हर प्रकार से छल लिया जाता है
जैसा कि आचार्य चाणक्य ने कहा है कि घने जंगलों में सबसे पहले सीधे और सरल पेड़ों को ही काटा जाता है क्योंकि इन पेड़ों को काटने में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है और कांटे भरे पेड़ों को अर्थात चतुर एवं अपना भला चाहने वाले स्वभाव वाले व्यक्ति को समाज में ऊंचा दर्जा दिया जाता है और उसका चाह कर भी कोई अहित नहीं कर पाता है।

Chanakya Niti
भारतवर्ष के महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन में आने वाली कई प्रकार की मुश्किलों के समाधान हेतु उन्होंने अपनी नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़े हर परेशानियों का जिक्र किया है यदि मनुष्य आचार्य चाणक्य की कही गई बातों को अपने जीवन में उतारता है तो वह व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली तमाम परेशानियों एवं खराब परिस्थितियों का भी डटकर सामना कर सकता है और एक सफल जीवन जी सकता है
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन को सफल बनाने हेतु कई नीतियों का जिक्र किया है अतः हम आपको आचार्य चाणक्य की इन नीतियों में से 10 ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं इन 10 नीतियों को अपनाकर मनुष्य अपने जीवन को सफल एवं समृद्ध बना सकता है ।
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् ।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ।।
Chanakya Niti अर्थ:
1. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य को कभी किसी के प्रति हद से ज्यादा सीधा नहीं होना चहिए आचार्य चाणक्य के कहने का अर्थ यह है कि जिस प्रकार घने जंगलों में सीधे एवं चिकने पेड़ों को सबसे पहले काटा जाता है अर्थात सीधे और सरल व्यक्ति को मूर्ख बनाने एवं उसके साथ छल करना अत्यंत आसान होता है इस लिए व्यक्ति को अत्यंत सीधा एवं सरल स्वभाव का नहीं होना चाहिए।
2. आचार्य चाणक्य का कहना है कि पूरे विश्व को संचालित करने के लिए धन एक महत्वपूर्ण वस्तु एवं शक्ति है अर्थात आज के युग में यदि आपके पास खूब सारा धन है तो आप महान हैं और यदि आपके पास धन नहीं है तो आप बेकार है अर्थात यदि आप मूर्ख एवं बुद्धिहीन है परंतु आपके पास धन बहुत सारा है तब भी आपका समाज में सम्मान होगा धनवान व्यक्ति को ही समाज के लोग अपना हितेषी मानते हैं एवं उन्हीं से व्यवहार रखना पसंद करते हैं ।
3. आचार्य चाणक्य का कहना है कि अत्यंत क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति अपने बर्बादी के द्वार खोलता है अर्थात व्यक्ति के अंदर धन की लालच और लोभ आने से वह व्यक्ति अपने जीवन में दुखों को आमंत्रित करता है इसी के विपरीत यदि व्यक्ति सरल एवं अच्छे विचार का होता है विद्या और सरल एवं सीधे गाय के समान ही होता है विद्या एक ऐसा धन है जिसे कभी खर्च नहीं किया जा सकता अपितु जितना बांटो उतना ज्यादा बढ़ता है ज्ञान और संस्कार यह दो अनमोल रतन है जो मनुष्य को सरल एवं संतोषी जीवन यापन करने में मदद करते है।
4. आचार्य चाणक्य जी का कहना है कि धार्मिक प्रवृत्ति के एवं बुद्धिमान व्यक्तियों को अपने समय को अध्ययन और मनन में लगाना चाहिए ।
5 आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक मूर्ख एवं अनुशासनहीन और अपने से बड़े का सम्मान ना करने वाला एवं उस व्यक्ति के संस्कारों में कमी हो वह मनुष्य हमेशा अपने जीवन में दुख का भागी रहता है और दुराचारी मनुष्य हर किसी को भी दुखी करता है अर्थात समाज में रहने हेतु नागरिकों को नियम कानून के साथ चलना होता है जिससे वह सभी इन नियमों को पालन करके एक अच्छा जीवन व्यतीत करते है परंतु कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जो समाज में ना तो खुद खुश रहते हैं और ना ही दूसरों को खुश रहने देते हैं अपनी मुश्किलों के साथ-साथ दूसरों की भी मुश्किलें बढ़ाते हैं ।
6. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि स्त्रीया पुरुषो की तुलना में सबसे ज्यादा आहार ग्रहण करती है अर्थात आचार्य चाणक्य के कहने का तात्पर्य यह है कि स्त्रियां पुरुषों से 4 गुना बुद्धिमान और चालाक होती है एवं 6 गुना साहसी एव निडर स्वभाव वाली होती है।
7. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपने रहस्यो के बारे में किसी भी रिश्तेदार या चाहने वाले के सामने नहीं जाहिर करना चाहिए अर्थात अपनी कमजोरियों और परेशानियों के बारे में अपने सगे से सगे संबंधी व्यक्तियों को भी नहीं बताना चाहिए।
8. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में यह भी बताया है कि व्यक्ति की मित्रता के पीछे भी कोई ना कोई स्वार्थ अवश्य ही होता है दुनिया में ऐसी कोई भी मित्रता नहीं जिसमें किसी भी प्रकार का स्वार्थ ना छुपा हो आचार्य चाणक्य इस सत्य को एक कड़वा सच भी मानते हैं ।
9. आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र ज्ञान एवं पुस्तक है यह मनुष्य की सबसे भरोसेमंद और अच्छी मित्र होती है बुद्धिमान व्यक्ति अपनी शिक्षा के दम पर समाज में एक अलग पहचान पाता है और अलग ही सम्मान प्राप्त करता है।
10. चाणक्य यह भी कहते हैं कि मनुष्य को अपने बीते हुए कल के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए और बीते हुए कल का चिंता नहीं करना चाहिए जो हो गया अब वह वापस नहीं आएगा और जो आने वाला है यानी कि भविष्य उसका किसी को पता नहीं अर्थात मनुष्य को अपने वर्तमान समय की मूल्यता को समझना चाहिए एक बुद्धिमान एवं विवेकवान व्यक्ति वर्तमान मे ही अपना जीवन यापन करता है ।